DA: भारत सरकार प्रतिवर्ष दो बार अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की समीक्षा करती है। यह प्रक्रिया जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर के दो चरणों में संपन्न होती है। पहली समीक्षा जनवरी से जून की अवधि के लिए होती है जबकि दूसरी समीक्षा जुलाई से दिसंबर तक की अवधि को कवर करती है। सरकार आमतौर पर त्योहारी सीजन जैसे होली और दिवाली के आसपास महंगाई भत्ते की घोषणा करती है। इस नियमित प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारियों का जीवन स्तर बढ़ती महंगाई के साथ संतुलित रहे। मार्च 2025 में हुई ताजा बढ़ोतरी के बाद अब महंगाई भत्ता पचपन प्रतिशत हो गया है।
वर्तमान महंगाई भत्ता दर और इसका प्रभाव
जनवरी 2025 से लागू नई दर के अनुसार केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता पचपन प्रतिशत निर्धारित किया गया है। यह दर जनवरी से जून 2025 की समीक्षा अवधि के लिए तय की गई है। हालांकि मार्च 2025 में हुई यह बढ़ोतरी पिछले अट्ठहत्तर महीनों में सबसे कम रही है। इसके बावजूद यह करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए राहत की बात है। सातवें वेतन आयोग के नियमों के अनुसार महंगाई भत्ते की गणना पिछले बारह महीनों के औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के औसत के आधार पर की जाती है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि महंगाई भत्ता वास्तविक मुद्रास्फीति के अनुपात में रहे।
जुलाई 2025 की बढ़ोतरी के लिए बढ़ती उम्मीदें
देश भर के एक दशमलव दो करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी अब जुलाई से दिसंबर 2025 की अवधि के लिए महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। यह उम्मीदें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जुलाई 2025 में होने वाली बढ़ोतरी सातवें वेतन आयोग के तहत संभावित रूप से अंतिम हो सकती है। सातवां वेतन आयोग इकतीस दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है और इसके बाद आठवें वेतन आयोग की घोषणा की जा सकती है। हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि नया वेतन आयोग जनवरी 2026 से तुरंत लागू हो पाएगा या नहीं। इस अनिश्चितता के कारण जुलाई की बढ़ोतरी का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मार्च 2025 के सकारात्मक आर्थिक संकेतक
जुलाई में महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी की उम्मीदों को मार्च 2025 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के सकारात्मक आंकड़ों से बल मिला है। मार्च में औद्योगिक श्रमिकों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक शून्य दशमलव दो अंक बढ़कर एक सौ तैंतालीस हो गया है। यह फरवरी की तुलना में बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है। नवंबर 2024 से फरवरी 2025 तक इस सूचकांक में लगातार गिरावट देखी जा रही थी लेकिन मार्च में यह सकारात्मक मोड़ ले चुका है। इसके साथ ही सालाना मुद्रास्फीति दर भी बढ़कर दो दशमलव पंचानवे प्रतिशत हो गई है जो फरवरी से थोड़ी अधिक है। ये आंकड़े महंगाई भत्ते की संभावित बढ़ोतरी के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं।
संभावित बढ़ोतरी का गणितीय विश्लेषण
मार्च तक के औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर गणना करें तो महंगाई भत्ता सत्तावन दशमलव शून्य छह प्रतिशत तक पहुंच सकता है। यदि अप्रैल, मई और जून के आंकड़े स्थिर रहते हैं या इनमें मामूली वृद्धि होती है तो जुलाई में महंगाई भत्ता बढ़कर सत्तावन दशमलव छियासी प्रतिशत तक जा सकता है। सरकार आमतौर पर महंगाई भत्ते को नजदीकी पूर्णांक में घोषित करती है। इस आधार पर यदि औसत सूचकांक सत्तावन दशमलव पचास प्रतिशत से ऊपर रहता है तो जुलाई में महंगाई भत्ता अट्ठावन प्रतिशत हो सकता है। वरना यह सत्तावन प्रतिशत पर ही स्थिर रह सकता है।
कर्मचारियों के लिए आगे की राह
वर्तमान आर्थिक संकेतकों और ऐतिहासिक पैटर्न को देखते हुए कहा जा सकता है कि जुलाई 2025 में महंगाई भत्ते में दो से तीन प्रतिशत तक की बढ़ोतरी संभव है। हालांकि अभी तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में केवल मामूली वृद्धि ही देखने को मिली है। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अप्रैल से जून तक के आंकड़ों का इंतजार करना होगा जो अंतिम निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सरकार की नीति के अनुसार त्योहारी सीजन में इसकी घोषणा की जा सकती है जो कर्मचारियों के लिए दोहरी खुशी का कारण बनेगी।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। महंगाई भत्ते की वास्तविक दरें सरकारी नीतियों और आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करती हैं। किसी भी आधिकारिक घोषणा के लिए सरकारी स्रोतों से पुष्टि करना आवश्यक है।